Positive Pay System: देश में बढ़ते डिजिटल और बैंकिंग फ्रॉड के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Positive Pay System (PPS) लागू किया था, जो चेक-बेस्ड धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है।
यह सिस्टम बड़े लेन-देन वाले चेक को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे हर हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन को पहले वेरिफाई किया जाता है।
कैसे काम करता है Positive Pay System
Positive Pay System के तहत, 50,000 रुपये या उससे अधिक के चेक जारी करने से पहले खाता धारकों को बैंक के साथ कुछ महत्वपूर्ण विवरण साझा करने होते हैं। इसमें चेक नंबर, तारीख, राशि और पेयी का नाम शामिल होता है।
जब चेक क्लियरिंग के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो बैंक इन डिटेल्स को फिजिकल चेक से मिलाता है। अगर कोई भी जानकारी मेल नहीं खाती, तो लेन-देन को रोक दिया जाता है और आगे की जांच की जाती है।
हाई-वैल्यू चेक के लिए क्यों जरूरी है PPS
फिलहाल, 5 लाख रुपये और उससे अधिक के चेक के लिए Positive Pay System अनिवार्य कर दिया गया है। 1 अक्टूबर 2024 से 2 लाख और उससे ज्यादा के चेक के लिए भी PPS लागू किया गया है।
अगर ग्राहक इन चेक्स के लिए PPS डिटेल जमा नहीं करते हैं, तो बैंक “Advice Not Received” कारण से चेक को रिजेक्ट कर सकता है।
PPS से क्या फायदे हैं
यह सिस्टम चेक-बेस्ड फ्रॉड को रोकने में कारगर साबित हो रहा है क्योंकि इससे बैंकों को हर बड़े लेन-देन की पूरी जानकारी पहले से मिल जाती है।
यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से उपलब्ध है, जिससे ग्राहक इंटरनेट बैंकिंग या ब्रांच जाकर अपनी PPS डिटेल अपडेट कर सकते हैं। इस प्रणाली के लागू होने से बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ी है और ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिल रही है।
PPS और Indian Roads Development में सुरक्षा का महत्व
जिस तरह Indian Roads Development में सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दी जाती है, उसी तरह बैंकिंग सिस्टम में भी सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है।
Positive Pay System डिजिटल बैंकिंग में सुरक्षा की नई परिभाषा गढ़ रहा है और चेक-बेस्ड ट्रांजैक्शन को ज्यादा सुरक्षित बना रहा है। अगर आप हाई-वैल्यू चेक जारी करते हैं, तो PPS का पालन करें और सुरक्षित बैंकिंग का लाभ उठाएं।